किशोर पारीक "किशोर"

किशोर पारीक "किशोर"

किशोर पारीक "किशोर" की कविताओं के ब्लोग में आपका स्वागत है।

किशोर पारीक 'किशोर' गुलाबी नगर, जयपुर के जाने माने कलमकार हैं ! किशोर पारीक 'किशोर' की काव्य चौपाल में आपका स्वागत है।



बुधवार, दिसंबर 14, 2011

मंहगाई से खाटे हुई खडी है,


सदनों में जि‍न्‍दा लाशे मरी पडी है

लगा तू बहती गंगा में डूबकी

क्‍यों नारे लगाता, यंहा गडबडी है

रोता क्‍यों भूखों के लि‍ये तू प्‍यारे

गोदामों में गेंहू की बोरी सडी है

नगमें सुनाये जा तू प्‍यार के

माता भारती उधर रो पडी है

कि‍शोर पारीक 'कि‍शोर'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें