किशोर पारीक "किशोर"

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किशोर पारीक 'किशोर' गुलाबी नगर, जयपुर के जाने माने कलमकार हैं ! किशोर पारीक 'किशोर' की काव्य चौपाल में आपका स्वागत है।



गुरुवार, फ़रवरी 17, 2011

चार दि‍न की जि‍न्‍दगी की,सि‍र्फ ये कहानी

चार दि‍न की जि‍न्‍दगी की,सि‍र्फ ये कहानी

भौर हुई सांझ हुई, बीती जवानी

सावन भी आयेगा, सावन भी जायेगा
सावन लुभायेगा, मन को हर्षायेगा
सुन्‍दर ये झरना क्‍या, पतझड से डरना क्‍या
मौसम पर रोना क्‍या, मौसम पर हंसना क्‍या
उंची नीची मोंजों पर, नाव है चलानी
चार दि‍न की जि‍न्‍दगी की,सि‍र्फ ये कहानी
भौर हुई सांझ हुई, बीती जवानी


पोथी सा बाना है, अक्षर खजाना है
शब्‍दों को तोल-तोल,प़ष्‍ठ को सजाना है
आवरण दि‍खावा है, जि‍ल्‍द भी छलावा है
कथ्‍य में जो दावा है, शि‍ल्‍प भी भुलावा है
आरभं से अन्‍त तक, बात बचकानी
चार दि‍न की जि‍न्‍दगी की,सि‍र्फ ये कहानी
भौर हुई सांझ हुई, बीती जवानी

जब से हम जागे हैं, बदहवास भागे है
सागर उलांघे है, पर्वत छलांगे है
बेबस अभागे हैं, हीरों को त्‍यागें है
खुशबू को भागे ये, सांसों के धागे है
खोज तेरे अन्‍दर की, यार इत्रदानी
चार दि‍न की जि‍न्‍दगी की,सि‍र्फ ये कहानी
भौर हुई सांझ हुई, बीती जवानी

राधा कन्‍हाई हैं, गुरू ग्रन्‍थं साई है
मुस्‍लि‍म ईसाई ने, बात ये सि‍खाई है
अक्षर अठाई है, सच्‍ची पढाई है
जग से वि‍दाई में, बस ये कमाई हैं
धरती से अम्‍बर तक, साथ यही जानी
चार दि‍न की जि‍न्‍दगी की,सि‍र्फ ये कहानी
भौर हुई सांझ हुई, बीती जवानी
चार दि‍न की जि‍न्‍दगी की,सि‍र्फ ये कहानी

कि‍शोर पारीक 'कि‍शोर'



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