किशोर पारीक "किशोर"

किशोर पारीक "किशोर"

किशोर पारीक "किशोर" की कविताओं के ब्लोग में आपका स्वागत है।

किशोर पारीक 'किशोर' गुलाबी नगर, जयपुर के जाने माने कलमकार हैं ! किशोर पारीक 'किशोर' की काव्य चौपाल में आपका स्वागत है।



रविवार, मई 16, 2010

परिंदा कह गया हमको, खुदा हाफिज़ मेरे यारो

शेर-ए-राजस्थान पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत बाबोसा एवं ढूढाडी के वरिष्‍ठ कवि बुद्विप्रकाश पारीक को जयपुर के साहित्‍यकारों द्वारा शब्‍दाजंली



शेर-ए-राजस्थान वजीर सदन,आदर्श नगर में जयपुर की प्रमुख साहित्यिक संस्‍था काव्‍यालोक द्वारा आयोजित काव्‍याजंली सभा में शेर-ए-राजस्थान पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत बाबोसा एवं ढूढाडी के वरिष्‍ठ कवि बुद्विप्रकाश पारीक को गुलाबी नगर के कवियों, गीतकारों ,एवं शायरों रविवार देर रात तक अपने गीतों गजलों एवं दोहों के माध्यम से काव्यांजलि अर्पित की। ढूढाडी के वरिष्‍ठ गीतकार बिहारी शरण पारीक की अध्‍यक्षता एवं किशोर पारीक के सञ्चालन में आयोजित इस काव्‍यांजली में
जयपुर के नामी शायर ईनाम शरर ने अशआर में कहा '
बांटते दुनियां को  उजाला सूरज, किसको मालूम था हो जायेगा वही काला सूरज, गर्दिशें जितनी होगी किस्‍मत में, कल भी निकलेगा यही डूबने वाला सूरज'
 एवं नमन कर रहे है उसे, धरती और आकाश,
फैलाई जयपुर में जिसने, बुद्वि का प्रकाश'
गीतकार सुरेन्‍द्र शर्मा ने अपनी कविता में इन दोनो के विछोह के दर्द का कुछ यों बयां किया ।
'कितनी बार याद आते हो,
अनगिन बिम्‍ब बना जाते हो,
मन के शीश महल में आकर
पल में औझल हो जाते हो,
संघर्षों के सुधी शायर रज़ा शैदाई ने अपने तरन्नुम भरे अंदाज़ में भैरोंसिंह शेखावत एवं  कवि बुद्विप्रकाश पारीक को समर्पित ये अशआर पढ़कर खूब दाद पायी ।
' मुददतों रोयेगी दुनियां वो बशर जाता रहा,
ऐहले दिल जाता रहा, ऐहले नजर जाता रहा,
वो तस्‍सबुर ही सही होती तो है कुछ गुफतगु
क्‍या करेंगे ये सहारा भी जाता रहा '
वरिष्‍ठ शायर हिम्मत सिंह बारहट शाद ने बड़े ही खूबसूरत लफ़्ज़ों में बिछोह के दर्द को व्‍यक्‍त किया। 
मै जिया अलमस्‍त होकर, रूला न सकी दुश्‍वारियॉं जमाने की,
कफन हटाके देख लो, मुझको आदत है मुस्‍कुराने की  
युवा गीतकार रविन्‍द्र ठाकुर ने निम्‍न पक्तियों से दोना शक्शियतों को श्रद्वाजंली अर्पित की ।
प्रीत कहूं तो असे हो आखों में नीर,
मेरे नयनो से झरे तेरे मन की पीर
सांझ बीती भौर आई मीत फिर तुम याद आए'
वरिष्‍ठ शायर तबस्‍सुम रहमानी ने अपनी गजल के इन शेरों द्वारा श्री शैखावत एंव बुद्विप्रकाश पारीक को शब्‍दाजंली अर्पित की।
' नज्र औरों को जो अपनी, हर खुशी करता रहा
जो बसर अपनी अदा से, जिन्‍दगी करता रहा
ढूंढ कर लायें कहीं से काई अब उसका जवाब
जख्‍म खाकर जो शजुफता, शायरी करता रहा'
कलम के अनूठे चितेरे कवि मुकुट सक्‍सेना ने बुद्विप्रकाश पारीक के संस्मरण के साथ अपने भावों को यों बयां किया.

जितने मन बहलाने को जीवन के नाम धरे,
उतनी अनजानी पिडासे आंसू ओर झरे
किन्तु पूरानी यादों का संबल ऐसलागता है,
कोइ बुझे दीजे में फिर से तेल भरे
काव्‍याजंली कार्यक्रम का संचालन करते हुवे कवि किशोर पारीक ' किशोर' ने अपने मुक्‍तक से श्रद्वाजंली अर्पित की
परिंदा कह गया हमको, खुदा हाफिज़ मेरे यारो
चमन में चह चहे कायम,रहे हरगिज़ मेरे यारो
हमारा फ़र्ज़ है महफिल में, केवल शायरी होवे
लतीफे बज़्म में ना हो, कभी काबिज़ मेरे यारो
काव्यांजलि सभा की अध्‍यक्षता करते हुए ढूढाडी के वरिष्‍ठ गीतकार बिहारी शरण पारीक ने अपनी ढूढाडी रचना के मद्यामसे उद्गार व्यक्त किये
नित्य गढ़-गढ़ मुरत्यां, विधना करे अभ्यास छै,
लाख में से एक कोइ, बण्यो बुद्धि प्रकाश छै,
सुरग में उत्सव हुयो, धरा पर मातम छायो
अंजुमन बेनूर,कवि मजबूर घणा उदास छै
काव्‍यालोक के अध्‍यक्ष नन्‍‍दलाल सचदेव ने बुद्धि प्रकाश जी की गगन समान व्यक्तिता एवं कृतित्व को कुछ इस अंदाज़ में पेश किया !
जो कविता की प्यास था, आसपास था, आम था पर खास था ,
हास्य का अहसास था, वो बुद्धि का ही प्रकाश था ,
कविता की लो लगा गया, गीत गयल ज़गा गया ,
गज़ब का काव्य तराश था, ऊँचाई में कैलाश था,
करते शत शत नमन, वीणा पानी अरदास था
अपने दोहों एवं गीतों के लिए अलग पहचान रखने गुलाबी नगर के गीतकार बनज कुमार'बनज'ने श्रद्वासुमन अर्पित करते हुए अपनी पक्तियों में कहा।

'पहले सारे काम करूंगा, फिर जाकर आराम करूंगा,
सूरज का वंशज हूं यारों, सोच समझ कर शाम करूंगा।
ख्‍यातनाम हास्‍य कवि सुरेन्‍द्र दुबे ने भैरों सिंह शैखावत एवं बुद्विप्रकाश पारीक को काव्‍यांजली अपिंत करते हुए श्रद्वाजंली गीत एवं अपनी व्‍यग्‍य रचना सरस्‍वती जी का त्‍यागपत्र पढा । गोष्ठी में अजीज अय्यूबी ,सुशीला मीना,  शिव चंद जैन, दर्द अकबराबादी, आलोक चतुर्वेदी, लोकेशकुमार सिंह साहिल, अखिलेश तिवाडी, सोहनलाल अग्रवाल, विशन कुमार अनुज, प्रवीण मस्‍त, चम्‍पालाल चोरडिया ' अश्‍क' ने भी अपने शब्‍द सुमन काव्‍याजंली द्वारा पेश किये। अन्‍त में सभी साहित्‍यकारों द्वारा मौन श्रद्वाजंली अर्पित की गई ।
प्रस्‍तुति किशोर पारीक ' किशोर'
 

1 टिप्पणी: