किशोर पारीक "किशोर"

किशोर पारीक "किशोर"

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किशोर पारीक 'किशोर' गुलाबी नगर, जयपुर के जाने माने कलमकार हैं ! किशोर पारीक 'किशोर' की काव्य चौपाल में आपका स्वागत है।



शनिवार, अप्रैल 03, 2010

बात पते की, यही हुजूर

बात पते की,  यही हुजूर 
खुराफात से, रहना दूर
दिया खुदा ने उसे कबूल
उसको था, ये ही मंजूर
नहीं निगाह मैं, उसके फर्क
राजा हो, या हो मजदूर
जिन्हें हुस्न पर, होता नाज़
वो अक्सर होते मगरूर
खोएगा जो वक्त फिजूल
सपने होंगे, चकनाचूर
चलते ही रहना, दिन-रात
मंजिल अपनी, कोसों दूर
सबर सुकूं, की रोटी चार
बरसाती चेहरे पर नूर
बोई फसल, वही तू काट
जीवन का ये ही दस्तूर
दुनिया फानी, समझ "किशोर"
सब कुछ होना है काफूर

किशोर पारीक " किशोर" 

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