मुक्तक
सोचता हूँ मैं लिखूं, कुछ चांदनी के रूप पर
मीत के संग प्रीत पर, योवन नहाती धूप पर
भूख नफरत देखकर , आवेश आता है
इसीलिए कविता में, पहले देश आता है
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ना कोलाहल हूँ मैं यारों, सिसकी ना ही शोर हूँ
दर्द को सहलाने वाली, अँगुलियों की पोर हूँ
शब्द लिखें हैं जितने मैंने , धड़कन की हर स्वांस से
जन- जन के मन की पीड़ा का, गायक मैं किशोर हूँ
किशोर पारीक"किशोर"
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