किशोर पारीक "किशोर"

किशोर पारीक "किशोर"

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किशोर पारीक 'किशोर' गुलाबी नगर, जयपुर के जाने माने कलमकार हैं ! किशोर पारीक 'किशोर' की काव्य चौपाल में आपका स्वागत है।



गुरुवार, अगस्त 27, 2009

अँग्रेज़ी टाँग

अँग्रेज़ी टाँग

हमारी एक महिला मित्र
संस्कारित उनका चरित्र
अँग्रेज़ी टाँग तोड़ने की लत
बातों में कई बार बिगाड़ी गत
एक बार मेरे दोस्‍त की शिकायत
दर्ज कराती सुनाई दास्‍तान
किशोर जी आपका दोस्‍त
नहीं करता हमारा सम्‍मान
मैंने पूछा गुस्‍सा कब तक जताओगी
या यो ही बेचारे को बेवफा बताओंगी
बोली मैं उम्र में बड़ी हू इसी लिये
मुझे इस बात पर आती हैं रिस
रोज मिलता हैं लेकिन
कभी नहीं करता हैं किस
एक दिन टिकट विण्‍डो पर
उनका यह कहना
भाई साहब जरा
जरा चोमू का स्‍टेम्‍प देना
कभी रेल के डिब्‍बे
उनके शब्‍दों में बॉक्स हो गये
हमारे लिये मजेदार जोक्‍स हो गया
एक दिन हमारे घर आयी
घरवाली से मेरी तकरार उसे नहीं भाई
तो दुनियादारी की बातें हमें समझाई
पति पत्‍नी का संबंध
जैसे गुलाब में छिपी हो सुगंध
जीवन रूपी गाड़ी में
प्‍यार का इंधन भरे
थोड़ा टायलेट किशोरजी आप
थोड़ा टायलेट भाभी आप करें
एक दिन उसे परेशान देखा
चेहरे पर थी चिन्‍ता की रेखा
मैंने पूछा मेडम
क्‍या टेशन नजर आ रहा है
बोली सुबह से ही उदर में
  ! हेड़क सता रहा हैं

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